अनुवाद

फ़रवरी 5, 2009

हँसी

(कविता – हैरॉल्ड पिंटर)

हँसी थम जाती है पर कभी नहीं होती खत्म
हँसी झुठाने में लगा देती है अपना पूरा दम
हँसी हँसती है उस पर जो है अनकहा हर दम
ये झरती है और किकयाती है और रिसती है दिमाग़ में
ये झरती है और किकयाती है लाशों के दिमाग़ों में
यूँ सारे झूठ हँसते-हँसते किए जाते हैं फ़राहम
जिन्हें सोख लेती है सिर कटी लाशों की हँसी बेदम
जिन्हें सोख लेते हैं हँसती लाशों के मुँह हर कदम

अनुवादक : अनिल एकलव्य

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जनवरी 30, 2009

मौत

(कविता – हैरॉल्ड पिंटर)

लाश कहाँ मिली थी?
लाश किसको मिली थी?
लाश जब मिली तब क्या वह मृत थी?
लाश मिली कैसे थी?

लाश थी किसकी?

पिता या भाई कौन था या बेटी कौन थी
या चाचा या मामा या बेटा कौन था या माँ या बहन कौन थी
उस मृत और लावारिस शरीर के?

लावारिस होने से पहले क्या शरीर मृत था?
क्या लाश लावारिस ही थी?
किसने उसे वहाँ छोड़ा था?

क्या मृत शरीर नंगा था या उस पर यात्रा की तैयारी में पहने गए कपड़े थे?

आपने किस आधार पर निर्णय किया कि शरीर मर चुका था?
क्या आपने निर्णय किया था कि शरीर मर चुका है?
आप लाश को कितना क़रीब से जानते थे?
आपको कैसे पता चला कि शरीर मर चुका है?

क्या आपने लाश को धोया था
क्या आपने उसकी आँखें बंद की थीं
क्या आपने उसे दफ़नाया था
क्या आपने उसे वहाँ छोड़ा था
क्या आपने लाश को चूमा था

अनुवादक: अनिल एकलव्य
अनुवाद तारीख: 11 अप्रैल, 2007

जनवरी 26, 2009

मौत की उम्र तो हो चली है

(कविता – हैरॉल्ड पिंटर)

मौत की उम्र तो हो चली है
पर उसके पंजे में अब भी दम है

पर मौत आपको निहत्था कर देती है
अपने पारदर्शी प्रकाश से

और वो इतनी चतुर है
कि आपको पता भी न चले

वो कहाँ आपके इंतज़ार में है
आपकी इच्छाशक्ति को मोह लेने को
और आपको निर्वस्त्र कर देने को
जब आप सज रहे हों क़त्ल करने को

पर मौत आपको मौका देती है
अपनी घड़ियाँ जमा लेने का

जब वो चूस रही हो रस
आपके सुंदर फूलों का

अनुवादक : अनिल एकलव्य

जनवरी 9, 2009

दोपहर के खाने के बाद

(कविता – हैरॉल्ड पिंटर)

और दोपहर के बाद आते हैं सजे-धजे प्राणी
लाशों में सूंघने के लिए
और करने के लिए अपना भोजन

और तोड़ लेते हैं ये ढेर से सजे-धजे प्राणी
फूले हुए नाशपाती धूल से
और मिनेस्त्रोन-सूप हिलाते हैं बिखरी हड्डियों से

और जब हो जाता है भोजन
वे वहीं पसर जाते हैं आराम से
निथारते हुए लाल मदिरा को सुविधाजनक खोपड़ियों में

अनुवादक: अनिल एकलव्य

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